कैसे छुअन में सिहरन
श्याम बिहारी श्यामल
ढंकता कहां खुला मन
नाकाफ़ी है पैरहन
कपासी है यह कि कागज़ी
फरियादी चुप गुम कहन
ख़ुमार-ए-फ़लसफ़ा क्यों
धीपाता केवल बदन
दरिया-ए-आग कैसा
कैसे छुअन में सिहरन
बरपी गुलों पर आफत
चुप क्यों चालाक चमन
श्यामल लगता क्यूं ऐसा
दांव पर कीमती सहन
About
Shyam Bihari Shyamal
Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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