मुश्किलों ने मुश्किल बना मुश्किल से बचाया है
श्याम बिहारी श्यामल
हालात ने हर बार झकझोरा है उड़ाया है
तूफां-ए-गम ने हमें यहाँ तक पहुंचाया है
हाथ कभी कम न थे जो चाहते थे मिटा देना
शातिर हमलों ने हमें हमलावर बनाया है
शातिर हमलों ने हमें हमलावर बनाया है
गुल रह जाते तो कबके मसल दिए गए होते
मुश्किलों ने मुश्किल बना मुश्किल से बचाया है
जब-जब लगा बच पाना अब तो नामुमकिन
रफ़्तार-ए-साज़िश-ओ -धक्कों ने आगे बढ़ाया है
श्यामल अनगिनत हैं दोस्त-ओ-दुश्मन हमारे
सफ़र यह यूं ही यहां तक नहीं चला आया है
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-10-2018) को "कृपा करो अब मात" (चर्चा अंक-3125) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
धन्यवाद.. आदर सहित आभार..
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