कुछ तो है बात ऐसी
श्याम बिहारी श्यामल
इम्तिहान जब सामने आता है
कहाँ तब कोई साथ निभाता है
मुसीबतें खड़ी हर क़दम मुस्तैद
जुनूं-ए-सितम क्या नहीं बताता है
ज़ुबां से फिसलती जब अपनी गज़ल
हाल-ए-याददाश्त यह सताता है
भीतर से रोकता-टोकता कौन
शिकस्त पर क्यों ठहाके लगाता है
श्यामल में कुछ तो है बात ऐसी
दु:ख भी सामने अदब से आता है
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