आंखों में अब कोई पानी कहाँ
श्याम बिहारी श्यामल
दूध कहाँ दूध और पानी कहीं पानी कहाँ था
यही तो दूध का दूध पानी का पानी यहाँ था
फ़साद की जड़ में था जिनका शातिर दिमाग
उनकी तक़रीर-ए-अमन का सानी कहाँ था
गोकि चमकते रहे उनके तराशे अल्फाज़
हैरत है उनका चेहरा नूरानी कहाँ था
गा रहे थे कुछ लोग उनके किस्से-अफ़साने
हैरत है इसमें रंग-ओ-रवानी कहाँ था
श्यामल को बे-श्यामल करने में जो थे जुटे
उनकी आंखों में अब कोई पानी कहाँ था
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