इश्क़-ए-बेखुदी पडूं तो क्यों


लाखों साल से बेहोश पड़ीं कई नस्लें

श्याम बिहारी श्यामल 

नीयत-ए-वक़्त है ज़ाहिर, भरमूं तो क्यों
उसकी सब औक़ात भी पता, डरूं तो क्यों 

क़ायदा-ए-अज़ल जो, अज़ब फ़ितरत उसकी 
आख़िर अज़ब-ग़ज़ब से झगड़ता फिरूं क्यों  

सूरमा नहीं, औज़ार-ए-क़ायनात वह 
किसी बेज़ान मशीन से मैं भिडूं तो क्यों

लाखों साल से बेहोश पड़ीं कई नस्लें
जागा हूं, इश्क़-ए-बेखुदी पडूं तो क्यों 

श्यामल को देख रही दुनिया गाता हुआ 
खुशग़ज़ल से ऐसे में उल्टे लडूं तो क्यों 


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क़ायदा-ए-अज़ल = सृष्टि के नियम 









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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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