नजरें ढेढ़ी सूरज की


जगह-जगह पनसोखे हैं  

श्‍याम बिहारी श्‍यामल

दरिया से यह कहना है 
अबाध बहते रहना है 

जगह-जगह पनसोखे हैं 
उनसे बचके चलना है 

साहिल अब बदनीयत है 
बेखबर नहीं बढ़ना है 

नजरें ढेढ़ी सूरज की 
तय है उसको ढलना है 

श्‍यामल जंग जारी अभी 
देखें कब तक लड़ना है 







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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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