रंग कितने  अंधेरे के भीतर श्याम बिहारी श्यामल   ख्व़ाब देखता हमें, गीत गाता है मुझे  ग़ज़ल इस फ़ज़ल पर   शुक्रिया कहूं मैं तुझे ...
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हंसो हंसो हंसो जि़या ज़ानिबे अब दिल जाए

हंसो हंसो हंसो जि़या ज़ानिबे अब दिल जाए

मुस्‍कान उड़ान भरे और आस्‍मां पर बिछ जाए श्‍याम बिहारी श्‍यामल   गम संग सन्‍नाटा मिट्टी में तुरंत मिल जाए हंसो हंसो हंसो...
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आंखों को ही क़ुबूल कहां दिन-रात ग़मज़दा रोना

आंखों को ही क़ुबूल कहां दिन-रात ग़मज़दा रोना

ख़ुशी के नन्हे संदल को क्यों न खोज निकालें अभी श्याम बिहारी श्यामल   सूरज को मंज़ूर कब किसी दिन ग़ैरहाज़िर होना  अंधेरे को मयस्स...
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लाखों साल में यह तस्वीर-ए-ज़हां लहराई

लाखों साल में यह तस्वीर-ए-ज़हां लहराई

आब आतिश से आया, आग पानी ने जलाई  श्याम बिहारी श्यामल  तहज़ीब अचानक बनी न किसी एक ने बनाई  रोशनी-ए-इल्म दूर से आते-आते आई  ...
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भूलो मत दुनिया बदलने का ख्व़ाब

भूलो मत दुनिया बदलने का ख्व़ाब

अल्फाज़ में आग असल भरोगे क्या श्याम बिहारी श्यामल   साथी, बन कर समंदर करोगे क्या  आब-ए-तर भी प्यासा मरोगे क्या  भूलो मत ...
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सारा आसमान वह अछोर अदम

सारा आसमान वह अछोर अदम

खूबसूरत भरम है वह बुलंदी  श्याम बिहारी श्यामल   आशियां कहीं कोई नहीं ऊपर  चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर  छुआ-टटोला जा चुक...
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दिलदेश यह क़ाईदे यहां अपने ज़ुदा

दिलदेश यह क़ाईदे यहां अपने ज़ुदा

    ज़र्रे-ज़र्रे में रवां चांदनी-सी ज़ान श्‍याम बिहारी श्‍यामल शज़र-ए-ज़न्‍नत यह पल-पल नए अरमान मोहब्‍बत यह, जवां हर लम्‍ह...
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पत्थर को छुआ-जांचा, मुक़म्मल कपास था

पत्थर को छुआ-जांचा, मुक़म्मल कपास था

दुनिया भौचक, शाइर कतई नहीं हैरान    श्याम बिहारी श्यामल   संगदुनिया में ग़ज़ब मंज़र आस पास था    पत्थर को छुआ-जांचा, मुक़म्मल कप...
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क्या ज़रूरी है हर सिम्त आँखों में ही खुले  श्याम बिहारी श्यामल  सुखन-ए-ज़िंदगी अब तो दुना चाहता हूँ  चांद ज़रा झुको तुम्हें छून...
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ग़ज़ब रियाज़ उनका गुपचुप चुप रहना

ग़ज़ब रियाज़ उनका गुपचुप चुप रहना

अज़ब मुर्दा था गुलगुलापन गलीचे का  श्याम बिहारी श्यामल   मुमकिन कहां हलक में सच दबाए रखना वक़्त मुझे अपना हमसफ़र मत समझना क...
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आस्मां ज़मीं पर क्यों है

आस्मां ज़मीं पर क्यों है

नींद को नींद नहीं क्यों  श्याम बिहारी श्यामल   ज़मीं आतिशतर क्यों है आस्मां ज़मीं पर क्यों है गुल है हंसा भी करे अक्सर च...
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हल्के झोंकों से पिघलता हुआ पत्थर देखा

हल्के झोंकों से पिघलता हुआ पत्थर देखा

आतिश क्यों बेताब है बर्फ़ हो जाने को श्याम बिहारी श्यामल   दिल की निज़ामत का क्या नहीं मंज़र देखा  धधकती बस्ती देखी बुलबुलों का...
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नजरें ढेढ़ी सूरज की

नजरें ढेढ़ी सूरज की

जगह-जगह पनसोखे हैं   श्‍याम बिहारी श्‍यामल दरिया से यह कहना है  अबाध बहते रहना है  जगह-जगह पनसोखे हैं  उनसे बचके चलना ...
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चेहरे खरीदना बहुत आसान हो गया

चेहरे खरीदना बहुत आसान हो गया

सहूलियत कि जब चाहो बदल डालो नकाब     श्‍याम बिहारी श्‍यामल अफ्सां लफ्जीं, इश्‍क जुबानी शान हो गया दिल यह दिल न रहा, जैस...
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इन कंधों पर अभी बच्चे हैं

इन कंधों पर अभी बच्चे हैं

उस दिन देख चिहुंक जाओगे श्याम बिहारी श्यामल   हालात बेशक़ कुछ कच्चे हैं  इन कंधों पर अभी बच्चे हैं  इस हौसले को क्या तोलो...
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कहीं उलट कहीं पलट कहीं अज़ब अंट शंट

कहीं उलट कहीं पलट कहीं अज़ब अंट शंट

वक़्त बर्बाद न कर वक़्त के पीछे  श्याम बिहारी श्यामल  कौन रोके मनमानी और गड़बड़झाला वक़्त कहां अपना क़िरदार बदलने वाला कहीं उल...
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