क़ातिलों को भी पसंद था मसलना उन्हें
श्याम बिहारी श्यामल
कहीं लाल हरा तो कहीं नीला पीला था
कौन-सा रंग डालों पर जो नहीं खिला था
टहनियों पर रुकी एक बेआवाज़ ज़िंदगी
हाथ न पांव या न ही उन्हें कंठ मिला था
सभी होठों पर रख देते जो बोल मीठे
हद है खुद उनका अपना मुंह सिला था
क़ातिलों को भी पसंद था मसलना उन्हें
नाइंसाफियों का कैसा यह सिलसिला था
श्यामल यह गाफ़िली कोई या मन की हार
दुश्वारियों से बेखबर हर फूल गीला था
जवाब देंहटाएंसभी होठों पर रख देते जो बोल मीठे
हद है खुद उनका अपना मुंह सिला था ...क्या बात है 👌