दिलफ़रेब हैं बेशक़ खूबसूरत ऊँचाइयां
श्याम बिहारी श्यामल
रंगतें कई-कई बे-आवाज़ फूट रही हैं
हाथ लगाए बिना चीज़ें कई टूट रही हैं
कौन चाहता है भरी न रहे अंजलि हमेशा
न चाहते भी हाथ से क्या नहीं छूट रही हैं
टहनियों पर चटक रहीं ताज़गियां लगातार
खालीपन भरने आमदें ताज़ा जुट रही हैं
दिलफ़रेब हैं बेशक़ खूबसूरत ऊँचाइयां
लेकिन वहां सांसें क्यों कई-कई घुट रही हैं
श्यामल पीछा छोड़ नहीं रहे सवाल क्यों कभी
ज़िंदगी खुद लुट रही या हमको लूट रही है
हाथ लगाए बिना चीज़ें कई टूट रही हैं
कौन चाहता है भरी न रहे अंजलि हमेशा
न चाहते भी हाथ से क्या नहीं छूट रही हैं
टहनियों पर चटक रहीं ताज़गियां लगातार
खालीपन भरने आमदें ताज़ा जुट रही हैं
दिलफ़रेब हैं बेशक़ खूबसूरत ऊँचाइयां
लेकिन वहां सांसें क्यों कई-कई घुट रही हैं
श्यामल पीछा छोड़ नहीं रहे सवाल क्यों कभी
ज़िंदगी खुद लुट रही या हमको लूट रही है
टहनियों पर चटक रहीं ताज़गियां लगातार
जवाब देंहटाएंखालीपन भरने आमदें ताज़ा जुट रही हैं...वाह वाह