कौन सचमुच यहां सबसे बड़ा
श्याम बिहारी श्यामल
हरेक के ऊपर एक तन कर खड़ा था
कहां कौन सचमुच यहां सबसे बड़ा था
गुंबदों को अखरता नीला आसमान
नई बुलंदी को जो अब बिछा पड़ा था
सबको आती थी उसे देख कर हंसी
बावजूद शख्स अब भी सच पर अड़ा था
आखिर कभी भला वह भरता तो कैसे
बे-पेंदी का यह जो पाप का घड़ा था
श्यामल दवा सही मीठी हो तो कैसे
बात सच्ची थी किंतु हर लफ्ज़ कड़ा था
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