जगह क़ुदरत ने बख्शी तीरगी के लिए
श्याम बिहारी श्यामल
कोई जीता है हैवानगी के लिए
तो कोई मर जाता ज़िंदगी के लिए
दलील ही कहां हमेशा ज़रूरी यहां
दलील ही कहां हमेशा ज़रूरी यहां
समंदर काफ़ी नहीं तिश्नगी के लिए
क्या मज़ाक यह दोस्तो फ़ानी दुनिया में
बदन बेकार बड़ी रवानगी के लिए
ज़ुनूं-ए-तस्दीक अब तो रोको यारो
गुंज़ाइश रहने दो बंदगी के लिए
श्यामल अहमियत-ए-रोज़ यह याद रहे
जगह क़ुदरत ने बख्शी तीरगी के लिए
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