ताक़तवर शख्स कभी हक़ में न रहा
श्याम बिहारी श्यामल
दुश्वारियों ने कई बार हद को तोड़ा है
शुक्र है उम्मीदों ने साथ नहीं छोड़ा है
हालत कहां कैनवास-ए-तस्वीर से अलग
हौसला भी मुक़म्मल मक़बूल का घोड़ा है
जब कभी यह लगा चक्रव्यूह में फंस गए
नई राह ने पास आ मंज़र को मोड़ा है
पास का ताक़तवर शख्स कभी हक़ में न रहा
पर इस दुश्मनी ने बार-बार कुछ जोड़ा है
श्यामल आखिर यह किस तरह मुमकिन हुआ किया
ग़ज़ल ने साजिशों को मौके पर मरोड़ा है
पास का ताक़तवर शख्स कभी हक़ में न रहा
जवाब देंहटाएंपर इस दुश्मनी ने बार-बार कुछ जोड़ा है
...क्या बात👌👌 क्या बात👌👌