मंज़र कौन आधे और कौन समूचे
श्याम बिहारी श्यामल
नक्स-ए-हालात वक़्त ने ग़ज़ब खींचे हैं
ऊंट सब ऊपर हैं और पहाड़ नीचे हैं
ज़माने को खूब पता है मतलब-ए-आब
मौजों ने कश्ती को यहां खुद उलीचे हैं
सहरा क्यों नहीं आकर लेता खोज-खबर
दरियाओं ने स्वयं ही प्यास को सींचे हैं
सन्नाटे के सिवा रखा है क्या आसमां में
ज़मीन को तरस रहे गुंबद जो ऊंचे हैं
श्यामल हद-ए-चश्म से अब हैरां-परेशां
मंज़र कौन आधे और कौन समूचे हैं
जवाब देंहटाएंसन्नाटे के सिवा रखा है क्या आसमां में
ज़मीन को तरस रहे गुंबद जो ऊंचे हैं...क्या बात