ज़मीन को तरस रहे गुंबद


मंज़र कौन आधे और कौन समूचे

श्याम बिहारी श्यामल 

नक्स-ए-हालात वक़्त ने ग़ज़ब खींचे हैं
ऊंट सब ऊपर हैं और पहाड़ नीचे हैं

ज़माने को खूब पता है मतलब-ए-आब
मौजों ने कश्ती को यहां खुद उलीचे हैं

सहरा क्यों नहीं आकर लेता खोज-खबर
दरियाओं ने स्वयं ही प्यास को सींचे हैं

सन्नाटे के सिवा रखा है क्या आसमां में
ज़मीन को तरस रहे गुंबद जो ऊंचे  हैं

श्यामल हद-ए-चश्म से अब हैरां-परेशां
मंज़र कौन आधे और कौन समूचे हैं



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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. सन्नाटे के सिवा रखा है क्या आसमां में
    ज़मीन को तरस रहे गुंबद जो ऊंचे हैं...क्या बात

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