शाखों पर लदे हैं जाहिल परिन्दे


सभी समझ रहे हैं यह खेल उनका

श्याम बिहारी श्यामल 

सत्य की हालत कमज़ोर बता रहे हैं वो  
माहौल-ए-फरेब मुफीद बना रहे हैं वो
  
शातिर कितने बड़े यह हो रहा जगज़ाहिर 
चोरी करके खुद चोर-चोर चिल्ला रहे वो


वह चाह रहे हम मान लें हालात बदतर 
सामने तभी तो  भ्रमजाल फैला रहे वो


सभी समझ रहे हैं यह खेल उनका पूरा
इल्म-ए-ज़माना खुद समझ नहीं पा रहे वो
 

श्यामल शाखों पर लदे हैं जाहिल परिन्दे 
हाल-ए-गुलिस्तां बद से बदतर बना रहे वो


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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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