बयान सब उसके तीन पात थे और ढाक थे
श्याम बिहारी श्यामल
उसूल-ओ-ईमान अब किरदार-ए-मज़ाक थे
मानो न मानो हालात बेहद खतरनाक थे
सबको सब कुछ पता लेकिन सब के सब गज़ब चुप
मानो न मानो हालात बेहद खतरनाक थे
सबको सब कुछ पता लेकिन सब के सब गज़ब चुप
हालात-ए-मुर्दानगी ज़्यादा दर्दनाक थे
टूट चला था तिलिस्म-ए-अल्फाज़ हर ओर अब
नाउम्मीदियों में धधक ख्वाब सारे खाक़ थे
सबसे मासूम दिखता जो सबसे शातिर ठहरा
बयान सब उसके तीन पात थे और ढाक थे
दरिन्दों की दुनिया बहुत बड़ी थी खुशहाल थी
श्यामल के मुक़ाबले सब के सब ठीक-ठाक थे
टूट चला था तिलिस्म-ए-अल्फाज़ हर ओर अब
नाउम्मीदियों में धधक ख्वाब सारे खाक़ थे
सबसे मासूम दिखता जो सबसे शातिर ठहरा
बयान सब उसके तीन पात थे और ढाक थे
दरिन्दों की दुनिया बहुत बड़ी थी खुशहाल थी
श्यामल के मुक़ाबले सब के सब ठीक-ठाक थे
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