दरहक़ीक़त चट्टे-बट्टे सब Shyam Bihari Shyamal 8:10 am Edit शातिरों के अनगिन रैले श्याम बिहारी श्यामल दरअसल जो मन के मैले थे नीचे से ऊपर तक फैले थे दरहक़ीक़त चट्टे-बट्टे सब एक ही तो उनके थैले थे हर लफ्ज उनका शहद से सना मतलब पर सबके कसैले थे आपस में सब एकजुट पूरे गलबहियां दिखे गुस्सैले थे श्यामल क़दम-क़दम साज़िश यहां शातिरों के अनगिन रैले थे Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus About Shyam Bihari Shyamal Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel. RELATED POSTS
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें