दरहक़ीक़त चट्टे-बट्टे सब


शातिरों के अनगिन रैले
श्याम बिहारी श्यामल 

दरअसल जो मन के मैले थे
नीचे से ऊपर तक फैले थे


दरहक़ीक़त चट्टे-बट्टे सब
एक ही तो उनके थैले थे


हर लफ्ज उनका शहद से सना
मतलब पर सबके कसैले थे


आपस में सब एकजुट पूरे 
गलबहियां दिखे गुस्सैले थे


श्यामल क़दम-क़दम साज़िश यहां 
शातिरों के अनगिन रैले थे

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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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