खुशगवार नग्मे दु:खी दिलों ने गाया
श्याम बिहारी श्यामल
हज़ारों साल में कश्ती के भला हाथ क्या आया है
सबको पार लगाती पर खुद ही पार कहां पाया है
जिस नायाब ताज़महल की चमक में डूबी है दुनिया
इस अनोखी इमारत को भी बेघरों ने बनाया है
क्या तैयार करे ज़हां में क्या तामीर कराए कोई
जो लाल क़िला भी बनवाया कहां लौट कर आया है
सभी को दिन-रात देती है रफ्तार-ओ-मंज़िल यहां
सड़क वह खुद निढाल कभी एक क़दम नहीं बढाया है
श्यामल अज़ब रिश्ता है यह हक़ीक़त-ओ-इत्तिफ़ाक़ का
सबसे खुशगवार नग्मे तो दु:खी दिलों ने गाया है
सबसे खुशगवार नग्मे तो दु:खी दिलों ने गाया है
जवाब देंहटाएंजिस नायाब ताज़महल की चमक में डूबी है दुनिया
इस अनोखी इमारत को भी बेघरों ने बनाया है...वाह,गजब