ऊंचाई पर मुस्कान एक अड़ी


उल्फत अब भी ज़ादू की छड़ी

श्याम बिहारी श्यामल 

अपने-आप में दुनिया चाहे जितनी हो बड़ी
दिल के सामने आज भी सिर झुकाये वह खड़ी

पल-पल जहां बदल रहे हैं मंज़र-ओ-हालात
कुछ तो बात है उल्फत अब भी ज़ादू की छड़ी

बात-बात में सुलगने लगता अजब यह दिमाग
दिलदेश में तो बारहमासा सावन की झड़ी

इत्मीनान से गढता है वह शक़्ल-ओ-सूरत
वक़्त के हाथ यहां कोई गड़बड़ी न हड़बड़ी

श्यामल एक ज़माने से ज़माने को इल्हाम
यूं ही नहीं ऊंचाई पर मुस्कान एक अड़ी




Share on Google Plus

About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें