अंधेरे को जमकर धिक्कारते रहिए


अनहोनी भी घटेगी

श्याम बिहारी श्यामल 

सरेज़िंदगी होनी अगर होकर रहेगी 
बिल्कुल अटल है अनहोनी भी घटेगी

  
खदेड़ तो रहा करोड़ों साल से सूरज 
क़ायदा-ए-कुदरत शब कभी न मिटेगी


अंधेरे को जमकर धिक्कारते रहिए
वह न रहे तो रोशनी कैसे रहेगी


आदमी बनता फिरे खुद आला-ए-ज़हां 
क़ायनात केवल उसी से कहां चलेगी

श्यामल इंतज़ाम जो साझा है रहेगा 
हाथी झूमेगा चीटी भी छमकेगी 






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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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