चक्की को समझने में उम्र निकल गई


वह साथ पिसती रही पीसते-पीसते

श्याम बिहारी श्यामल 

चीर कर मुश्किल हालात को आहिस्ते 
सामने आ ही जाते हैं कई रास्ते

सूरज से अंधेरे को कहां कब रियायत 
हाज़िर वह यकीं-ए-रोशनी के वास्ते


चक्की को समझने में उम्र निकल गई 
वह साथ पिसती रही पीसते-पीसते 

इस क़रामात पर पानी को खुद हैरत 
परबत को कैसे काट दिया रिसते-रिसते

श्यामल वक़्त बदल रहा हर पल हर क़दम
प्यार भटक रहा है अब तो रिश्ते-रिश्ते






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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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