अपने होने का सुबूत लेकर निकलिए
श्याम बिहारी श्यामल
इस वज़ूद को मुकम्मल कतई न समझिए
अपने होने का सुबूत लेकर निकलिए
क्यों फैलता जा रहा खतरे का दायरा
बेतकल्लुफ हो कैसे क़दम कोई रखिए
कौन परछाईं अपने क़द से नहीं बड़ी
पेच-ओ-खम-ए-वक्त से गाफिल न रहिए
क़ातिल निकला शक़्ल-ए-फक़ीर अभी-अभी
हालात को हल्के में लेने से बचिए
श्यामल असल पर नक़ल यहां हावी कैसे
आंखों में सजाकर कब तक खराद चलिए
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