मुर्दे जल पर फैले ऊपर Shyam Bihari Shyamal 8:15 am Edit मसखरे की मस्ती क्या ग़ज़ब श्याम बिहारी श्यामल क़दम-क़दम पर खुलेआम था उसूलों का कत्लेआम था मुर्दे जल पर फैले ऊपर नज्र यही सुब्ह-ओ-शाम था छुपने की अब जरूरत कहां शक्ल-ए-क़ातिल तो आम था मसखरे की मस्ती क्या ग़ज़ब ज़माना जो उसके नाम था श्यामल बोलना आसां नहीं हरदम खतरा तो तमाम था Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus About Shyam Bihari Shyamal Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel. RELATED POSTS
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