गहरी खाई में धकेला गया जो था वही असल

पुरखों की भूमि सिताबदियारा के गरीबा टोला गोला (बाजार)
में वर्ष २०१६ के जून की एक शाम का यादगार
पल! (फोटो क्रेडिट : कथाकार सविता सिंह) 

घालमेल समझना आसान कहाँ रहा 

श्याम बिहारी श्यामल 

सराबोर रंग-रस से फरेबियों की बसावट थी
यहाँ सच के चेहरे पर अभूतपूर्व थकावट थी

गहरी खाई में धकेला गया जो था वही असल
नक़ली के नए किले में रंगारंग सजावट थी

ज़माने को सब पता था कौन असली कौन नक़ली 
कोई उठे भेद खोलने कहाँ ऐसी आहट थी

सब जान चुके थे कब के जिसका झूठ पूरी तरह
भला उस शख्स के हवाले कैसे चौधराहट थी 

श्यामल यह घालमेल समझना आसान कहाँ रहा 
अंग-अंग में मुर्दे के कैसे यह गरमाहट थी 





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. ज़माने को सब पता था कौन असली कौन नक़ली
    कोई उठे भेद खोलने कहाँ ऐसी आहट...वाह वाह...क्या बात

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