श्याम बिहारी श्यामल की ग़ज़ल - 131


सच यही यह बस 

श्याम बिहारी श्यामल 

जिसे लगती हो लगे यह ग़ज़ल   
हमारी यह तो ज़िंदगी असल  

अलामात अल्फाज़ मंज़र सब    
हर बात-ज़ज़्बात सच दरअसल

बनते हैं अशआर कभी-कभी  
हर पल चलती सांसों की पहल

सुनिएगा कभी कान लगा कर  
बजती मिलेगी धड़कन पल-पल 

हमारे पास कहां फ़नकारी 
हम खुद को यहां रखते केवल

जगज़ाहिर नाचीज़ी हमारी
सच यही यह बस अदना श्यामल  



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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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