सूरज को अब तक तो हंकाना नहीं पड़ा
श्याम बिहारी श्यामल
यह फूल रंगा है न यह पत्ती रंगी है
धरती नहीं किसी भी खूंटी से टंगी है
पंख न पहिया पर उड़ान-ओ-रफ्तार अबाध
दिन-रात जुदा नहीं सदाबहार संगी हैं
पंख न पहिया पर उड़ान-ओ-रफ्तार अबाध
दिन-रात जुदा नहीं सदाबहार संगी हैं
सूरज को अब तक तो हंकाना नहीं पड़ा
चांद के पास भी कहां वक्त की तंगी है
समंदर उमड़ना भूला न बादल बरसना
क़ायदा-ए-क़ायनात निहायत जंगी है
श्यामल कुदरत से पूछ क़ानून का मतलब
श्यामल कुदरत से पूछ क़ानून का मतलब
नाफरमानी की हर हरकत बेढंगी है
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