श्याम बिहारी श्यामल की ग़ज़ल : धरती नहीं किसी भी खूंटी पर टंगी है


सूरज को अब तक तो हंकाना नहीं पड़ा 

श्याम बिहारी श्यामल 

यह फूल रंगा है न यह पत्ती रंगी है  
धरती नहीं किसी भी खूंटी से टंगी है 

पंख न पहिया पर उड़ान-ओ-रफ्तार अबाध

दिन-रात जुदा नहीं सदाबहार संगी हैं

सूरज को अब तक तो हंकाना नहीं पड़ा

चांद के पास भी कहां वक्त की तंगी है

समंदर उमड़ना भूला न बादल बरसना 
क़ायदा-ए-क़ायनात निहायत जंगी है 

श्यामल कुदरत से पूछ क़ानून का मतलब
नाफरमानी की हर हरकत बेढंगी है










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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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