आग से मत खेलिए ज़नाब
श्याम बिहारी श्यामल
क़ाबू अभी कर लीजिए खतरनाक ख्वाब
भूलकर भी आग से मत खेलिए ज़नाब
बेक़ाबू लपटें कभी कुछ छोड़तीं नहीं
बच न सकेगा आपका भी माल-असबाब
किस मुंह से क्या कहेंगे खुद ही सोचिए
तारीख पास बुला जब मांगेगा ज़वाब
इसे जितनी ज़ल्द समझ लें उतना अच्छा
मुहब्बत से बड़ा नहीं कोई इंक़लाब
श्यामल यह ज़हां जब भी जैसी ले करवट
उल्फत कल नायाब थी कल भी लाज़वाब
जय मां हाटेशवरी...
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दिनांक 27/11/2018
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सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंक़ाबू अभी कर लीजिए खतरनाक ख्वाब
भूलकर भी आग से मत खेलिए ज़ना....