श्याम बिहारी श्यामल की ग़ज़ल - 140



शिकंजा कसने की किसमें भला हिम्मत थी  

श्याम बिहारी श्यामल 

सबको कुबूल यहां पोशीदा हक़ीक़त थी
छुपने-छुपाने की अब कहां जरूरत थी

कारनामे, करतूत सब दुनिया के सामने
शिकंजा कसने की किसमें भला हिम्मत थी  

चेहरा क्यों न खौफ़नाक कोई बात नहीं  
शर्त केवल एक अपनी ऊँची क़ीमत थी 

उन्हें लगता दुनिया अब उनकी मुट्ठी में 
कौन बताए यहां हाजत-ए-मरम्मत थी

श्यामल आंखों में झिलमिलाया यह क्या
समझा जिसे तारीफ़ वह सीधी मज़म्मत थी




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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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