झुकते दीवाने नीले चंदोवे के क्या कहने
श्याम बिहारी श्यामल
क़ायनात ने इतने प्यार से यूं ही नहीं पहने है
सूरज चाँद सितारे धरती सभी नायाब गहने हैं
चलते-फिरते इस दरिया या गाती हुई उस हवा पर
झुकते दीवाने नीले चंदोवे के क्या कहने हैं
बोलते आदम से एक बेज़ुबान अदना कंकड़ तक
देखी बेचैनी एक-सी हर शै में यहां हमने है
हम तो एक ज़माने से ज़हां-ए-उपन्यास मशगूल
दुनिया-ए-गज़ल से अभी-अभी पुकारा यह किसने है
हम बाजुओं से यहां जिसे नाप रहे वह समन्दर है
श्यामल शुक्रगुज़ार उसी के हमें धकेला जिसने है
सूरज चाँद सितारे धरती सभी नायाब गहने हैं
चलते-फिरते इस दरिया या गाती हुई उस हवा पर
झुकते दीवाने नीले चंदोवे के क्या कहने हैं
बोलते आदम से एक बेज़ुबान अदना कंकड़ तक
देखी बेचैनी एक-सी हर शै में यहां हमने है
हम तो एक ज़माने से ज़हां-ए-उपन्यास मशगूल
दुनिया-ए-गज़ल से अभी-अभी पुकारा यह किसने है
हम बाजुओं से यहां जिसे नाप रहे वह समन्दर है
श्यामल शुक्रगुज़ार उसी के हमें धकेला जिसने है
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