भिड़ा तो फिर तेरी निशानी न बचेगी
श्याम बिहारी श्यामल
रंगत-ए-उल्फ़त-ए-इंसानियत कायम रहेगी
दहशत से सीधी जंग मेरी यह आगे बढ़ेगी
सालों तक खून का घूंट पिया बहुत बर्दाश्त किया
तुमने ललकारा है अब तेरी तबाही मचेगी
छुप-छुप कर वार किए हमें बरगलाते रहे
लेकिन आगे यह दगाबाज़ी अब तनिक न चलेगी
'पाक़' को तुमने गंदा कर दिया अच्छा नहीं किया
इसकी क़ीमत तुम्हें हर हाल में देनी पड़ेगी
श्यामल कौन हैं हम , कभी तारीख से पूछ लेना
सबको पता भिड़ा तो फिर तेरी निशानी न बचेगी
जवाब देंहटाएंछुप-छुप कर वार किए हमें बरगलाते रहे
लेकिन आगे यह दगाबाज़ी अब तनिक न चलेगी
....