दिमाग को खोल आस्मां से उतर
श्याम बिहारी श्यामल
करामात-ए-खुदकशी भी न कर
घर शीशे का है पत्थर से डर
वक़्त रहते अग़र संभल न सके
खुद देखोगे दर्दनाक़ मंज़र
शातिर है तुझे चढ़ाने वाला
चाहता तेरे हालात बदतर
काम न चलेगा ज़मीं के बगैर
दिमाग को खोल आस्मां से उतर
श्यामल मिजाज़पुर्शी खेल एक
खुशअल्फाज़ में भी उनके ज़हर
About
Shyam Bihari Shyamal
Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
काम न चलेगा ज़मीं के बगैर
जवाब देंहटाएंदिमाग को खोल आस्मां से उतर
...वाह वाह 👌👌