ढलते-ढलते ढल सके मौजूदा हालात


ठेस-ठोकरों ने केवल दर्द नहीं दिया

श्याम बिहारी श्यामल 

हज़ारों साल का वक़्त, अनगिन बुज़ुर्गात
दुनिया को सजाते रहे तमाम तजुर्बात

याद है तारीख़-ए-आदम को कहानी
कहां-कैसे शुरू औ' अब यहां तक यह बात

खुशरंग नहीं मुमकिन तुरंत रातों-रात
ढलते-ढलते ढल सके मौजूदा हालात

ठेस-ठोकरों ने केवल दर्द नहीं दिया
आमद आखिर उनकी भी खुशनुमा इफ्रात 

हवा से बातें, सितारों से मुलाक़ातें 
श्यामल अब तक मिली एक-से-एक सौगात 







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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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6 comments:


  1. हज़ारों साल का वक़्त, अनगिन बुज़ुर्गात
    दुनिया को सजाते रहे तमाम तजुर्बात...क्या बात है 👌👌

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नकलीपने का खेल : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  4. बहुत सुंदर रचना।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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