ठेस-ठोकरों ने केवल दर्द नहीं दिया
श्याम बिहारी श्यामल
हज़ारों साल का वक़्त, अनगिन बुज़ुर्गात
दुनिया को सजाते रहे तमाम तजुर्बात
याद है तारीख़-ए-आदम को कहानी
कहां-कैसे शुरू औ' अब यहां तक यह बात
खुशरंग नहीं मुमकिन तुरंत रातों-रात
ढलते-ढलते ढल सके मौजूदा हालात
ठेस-ठोकरों ने केवल दर्द नहीं दिया
आमद आखिर उनकी भी खुशनुमा इफ्रात
हवा से बातें, सितारों से मुलाक़ातें
श्यामल अब तक मिली एक-से-एक सौगात
जवाब देंहटाएंहज़ारों साल का वक़्त, अनगिन बुज़ुर्गात
दुनिया को सजाते रहे तमाम तजुर्बात...क्या बात है 👌👌
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नकलीपने का खेल : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन उम्दा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
बहुत सुंदर... लाजवाब...
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