नगमा-ए-वक़्त गर्द-ओ-गुब्बार
श्याम बिहारी श्यामल
सवाल अब तो यह खुल्लमखुला है
आईना कहां दूध का धुला है
मुंहदेखी बातें उलट-गवाही
ज़माना कैसे यह सब भूला है
कर रहा जो सच की पैरोकारी
झूठ क्यों उसमें इस क़दर घुला है
नगमा-ए-वक़्त गर्द-ओ-गुब्बार
ज़ेरे ग़ज़ल बहुत हल्लागुल्ला है
श्यामल लबे सड़क होश फाख्ता मैं
हर चश्मदीद बेज़ान झूला है
मुंहदेखी बातें उलट-गवाही
जवाब देंहटाएंज़माना कैसे यह सब भूला है...वाह वाह