चाक सिखला रहा उसे मूरत बनना
श्याम बिहारी श्यामल
जान गए बे-लफ्ज़ गुफ्तगू करना
मगरूर सन्नाटो, संभल कर रहना
क़द सामने खड़ा अग़र चुपचाप है
मतलब नहीं उसे अब कुछ नहीं कहना
क़ायनात गढ़ मिट्टी अब अवाक है
चाक सिखला रहा उसे मूरत बनना
कितनी कला यह औ' कितना फसाना
सभी सीखने लगे रस्सी पर चलना
श्यामल यह कोयल नदी भी अजब है
सूख कर भी भूली नहीं वह चमकना
क़द सामने खड़ा अग़र चुपचाप है
जवाब देंहटाएंमतलब नहीं उसे अब कुछ नहीं कहना...
वाह वाह