अचंभा बचे होने पर अपने
श्याम बिहारी श्यामल
क्या खाक़ सारे अफलातून बड़े-बड़े हैं
रोकने को खाक़सार के पांव पकड़े हैं
चाहते हैं बचे न वह जो मुखालफ़त करे
दिखावा इस तरह जैसे भाई बिछड़े हैं
अदना को गिराने में ज़माने से बेदम
कुछ यूं दरअसल वह अपने पीछे पड़े हैं
देखने में सब के सब फूलों की मानिंद
भीतर-भीतर बेज़ान मुर्दों-से कड़े हैं
श्यामल को अचंभा बचे होने पर अपने
सवाल मुसलसल कैसे हम अब तक खड़े हैं
देखने में सब के सब फूलों की मानिंद
जवाब देंहटाएंभीतर-भीतर बेज़ान मुर्दों-से कड़े हैं ...