भारत के लाल अभिनन्दन (चित्र : साभार गूगल) |
दिख गई इब्न-ए-हिंदुस्तां की ताक़त
श्याम बिहारी श्यामल
मादरेवतन का सपूत है वीर है लाल है
अभिनंदन यह क़माल है, क़माल है क़माल है
आकाश से कूदकर पार सरहद के जा गिरा
घिर कर भी अडिग, उन्हें यही तो मलाल है
झूलती पूंछों को चुभी खड़ी मूंछों की शान
उनकी गफलत-ओ-फिक्र पर कहां अब सवाल है
शिक़स्त दे दुश्मन की ज़मीं से लौट कर आया
दुनिया में भला कहां कोई ऐसी मिसाल है
श्यामल दिख गई इब्न-ए-हिंदुस्तां की ताक़त
सारे ज़हां ने माना यह मुल्क़ बेमिसाल है
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (04-03-2019) को "शिव जी की त्रयोदशी" (चर्चा अंक-3264) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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महाशिवरात्रि की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाकई कमाल है। वाकई कमाल है।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना भी लाजवाब है
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