आलम-ए-फरेब ज़ेरे गौर करना
श्याम बिहारी श्यामल
तय अगर कर ही लिया सच-सच कहना
तो अब कुबूल भी कर हाशिये रहना
गोकि हाशिया यह काम की ही जगह
मुमक़िन नज़र यहीं से हर ओर रखना
पास झंडाबरदार भी आएँगे
ज़रा फासले से ही पहले परखना
बदला अब रंग-ए-जुलूस-ओ-हुज़ूं
आलम-ए-फरेब ज़ेरे गौर करना
कोई श्यामल बन कर भी आयेगा
निगाह गड़ा कर चश्म-ए-तर निरखना
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