आसिम उनकी चाहत है बहुत
श्याम बिहारी श्यामल
सब जानते सियासत हैं बहुत
उनकी बीन में ताक़त है बहुत
बजाएं तो नचा दें हरेक को
ज़ादू उनका आफ़त है बहुत
चेहरे अनेक, सब के सब एक
अमानत में ख़यानत है बहुत
देखिए सब समझा रहे क्या-क्या
कहा, क़ैद में राहत है बहुत
लोरी है, नारे हैं, वादे हैं
अदाओं में नज़ाक़त है बहुत
सामने से फैलाते हैं जाल
दूर सहमी सदाक़त है बहुत
लोग सहमे, कौन फिर खेल करे
आसिम उनकी चाहत है बहुत
श्यामल कसौटी पर कसो उन्हें
ज़रूरत-ए-फ़िरासत है बहुत
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सदाक़त = सच्चाई
आसिम = पापी
आसिम = पापी
फ़िरासत = समझदारी
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