पल-पल बदलते दिख रहे हैं चेहरे
श्याम बिहारी श्यामल
सब कुछ उलट-पलट दे यह बवंडर न कहीं
दरियाफ्त करूं मैं अपनी जगह हूं कि नहीं
ज़रा-सी तेज आवाज़ जब आती है अब
शक़ जाग जाता है यह धमाका तो नहीं
पल-पल बदलते दिख रहे हैं चेहरे यूं
बहरुपियों को मुखौटे ज़रूरी ही नहीं
इस बीच इतना कुछ अनाप-शनाप देखा
अब तो गौर करते हैं क्या गलत क्या सही
श्यामल बनकर जो शख्स आया था मिलने
पूछ लिया वह हंसता-रोता है कि नहीं
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