फूंक ने आंधी को उड़ाया
श्याम बिहारी श्यामल
राह रोक वह कहता रहा मालामाल कर देगा
पता हमें नीयत-ओ-ईमां सब पामाल कर देगा
झनकती झोली खोल दी उसने हमारे सामने
समझ गया मैं इस दौलत से वह कंगाल कर देगा
वह ताक रहा मुझे औ' ताड़ रहा था मेरा वज़न
कुछ इस तरह जैसे मनचाहा अब बवाल कर देगा
क़दम-क़दम यहां बेशक़ कमियां ज़रूरतें मुश्किलें
हमें पर यकीं सबको हवा ग़ज़ल-ए-ख्याल कर देगा
आप मानें न मानें फूंक ने आंधी को उड़ाया
श्यामल फ़िक्र नहीं हाल ज़िद से क्या सवाल कर देगा
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पामाल = तबाह
झनकती झोली खोल दी उसने हमारे सामने
जवाब देंहटाएंसमझ गया मैं इस दौलत से वह कंगाल कर देगा ...लाजवाब👌👌