अफ़सुर्दा था वह औ' क़ैद-ए-लब
श्याम बिहारी श्यामल
ज़ेहन में जिसके सच के सिवा सब था
उसके ज़ुबानी सच का क्या मतलब था
भीतर से खिलाफ, बाहर हक़ में खड़ा
गडमड यह तवारीख़ में भला कब था
दोस्त-ओ-दुश्मन की शिनाख्त हो कैसे
इस दौर का सवाल बड़ा यही अब था
मिट चली हद बारीक़ वह दरम्यानी
निशान-ए-जायज़ साफ़ जब था तब था
श्यामल जो शख्स-ए-ख़ालिस ईमां था
अफ़सुर्दा था वह औ' क़ैद-ए-लब था
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ज़ेहन = दिमाग
खालिस = शुद्ध, पूरी तरह
अफ़सुर्दा = उदास
लब = होंठ
दोस्त-ओ-दुश्मन की शिनाख्त हो कैसे
जवाब देंहटाएंइस दौर का सवाल बड़ा यही अब था ...गजब