ज़िंदादिली ज़िंदा थी कहां
श्याम बिहारी श्यामल
हालात ऐसे अब पेशतर
शीशे से सहमा था पत्थर
ज़िंदादिली ज़िंदा थी कहां
टहल रहा डर बिना किसी डर
शख्स आया था हंसता जो
उससे अभी झांका समंदर
अश्क़ पीता व आग उगलता
शायर था वह या ज़ादूगर
श्यामल वह तो श्यामल भर था
चुपचुप भीतर गुमसुम बाहर
About
Shyam Bihari Shyamal
Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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टहल रहा डर बिना किसी डर
...क्या बात है