ठेस-ठोकरों ने केवल दर्द नहीं दिया
श्याम बिहारी श्यामल
हज़ारों साल का वक़्त, अनगिन बुज़ुर्गात
दुनिया को सजाते रहे तमाम तजुर्बात
याद है तारीख़-ए-आदम को कहानी
कहां-कैसे शुरू औ' अब यहां तक यह बात
खुशरंग नहीं मुमकिन तुरंत रातों-रात
ढलते-ढलते ढल सके मौजूदा हालात
ठेस-ठोकरों ने केवल दर्द नहीं दिया
आमद आखिर उनकी भी खुशनुमा इफ्रात
हवा से बातें, सितारों से मुलाक़ातें
श्यामल अब तक मिली एक-से-एक सौगात
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