कब पत्थर को कभी सूरज भी कोई पिघलाया है


खुशनग्म-ए-ज़िंदगी यह किसने खुशराग गाया

श्याम बिहारी श्यामल 

बुलंदी पास आई या क़द ने इज़ाफा पाया है 
अभी-अभी माथे से आस्मान मेरे टकराया है  

कहां से आ गया है अचानक यहां खुशरंग झोंका 
खुशनग्म-ए-ज़िंदगी यह किसने खुशराग गाया है 

एक ज़माने से रहा साथ और दोस्त हो चला था 
सन्नाटा वह कहां, उसने कहां मुक़ाम बनाया है 

वक़्त के खेल-ओ-खिलवाड़ के अक्श हज़ार-हज़ार 
कौन कहे, कांटे बिछाए कहां गुल को खिलाया है 

शायर क़ोशिश जारी रख, रह वही श्यामल ही बनकर 
कब पत्थर को कभी सूरज भी कोई पिघलाया है





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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3 comments:

  1. कहां से आ गया है अचानक यहां खुशरंग झोंका
    खुशनग्म-ए-ज़िंदगी यह किसने खुशराग गाया है…वाह

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  2. आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 13 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत लाजवाब शेर हैं ... दिली दाद कबूल फरमाएं ...

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