खुशनग्म-ए-ज़िंदगी यह किसने खुशराग गाया
श्याम बिहारी श्यामल
बुलंदी पास आई या क़द ने इज़ाफा पाया है
अभी-अभी माथे से आस्मान मेरे टकराया है
कहां से आ गया है अचानक यहां खुशरंग झोंका
खुशनग्म-ए-ज़िंदगी यह किसने खुशराग गाया है
एक ज़माने से रहा साथ और दोस्त हो चला था
सन्नाटा वह कहां, उसने कहां मुक़ाम बनाया है
वक़्त के खेल-ओ-खिलवाड़ के अक्श हज़ार-हज़ार
कौन कहे, कांटे बिछाए कहां गुल को खिलाया है
शायर क़ोशिश जारी रख, रह वही श्यामल ही बनकर
कब पत्थर को कभी सूरज भी कोई पिघलाया है
कहां से आ गया है अचानक यहां खुशरंग झोंका
जवाब देंहटाएंखुशनग्म-ए-ज़िंदगी यह किसने खुशराग गाया है…वाह
आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 13 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब शेर हैं ... दिली दाद कबूल फरमाएं ...
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