आब आतिश से आया, आग पानी ने जलाई
श्याम बिहारी श्यामल
तहज़ीब अचानक बनी न किसी एक ने बनाई
रोशनी-ए-इल्म दूर से आते-आते आई
कभी किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ और खोजा
एक-एक कर रंगत-ए-अस्बाब यूं खिल पाई
कितनों ने अपना घर व कितनों ने खुद को फूंका
आब आतिश से आया, आग पानी ने जलाई
कैसे-कैसे काम निकला, कितनी मेहनत हुई
लाखों साल में यह तस्वीर-ए-ज़हां लहराई
सफ़र यह आदम का साझा दुनिया भर में चला
श्यामल बात यह तवारीख ने लिखी, समझाई
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें