नागवार लगे जब बात कोई
श्याम बिहारी श्यामल
सिर जोड़े जी भर बतियाती हैं
दीवारें अक्सर फुसफुसाती हैं
जो कुछ चला करे घर के भीतर
बाअदब अपने ख्याल जताती हैं
नागवार लगे जब बात कोई
नाइत्तफाकी साफ़ जताती हैं
जान जातीं बाहर की हर फिक्र
अन्दर आते बाल सहलाती हैं
गारे-ईंट में भी यह ज़ज़्बात
श्यामल को वह श्यामल बनातीं हैं
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