खूबसूरत भरम है वह बुलंदी
श्याम बिहारी श्यामल
आशियां कहीं कोई नहीं ऊपर
चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर
छुआ-टटोला जा चुका आफ़ताब
ज़मीन से महज़ दिखता भर सुंदर
सारा आसमान वह अछोर अदम
हवा भी सिर्फ़ कुछ ही दूर मयस्सर
खूबसूरत भरम है वह बुलंदी
मंडराता केवल गिरने का डर
श्यामल इसे कोई समझे कैसे
जुनूं से तो आदम निकले बाहर
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अदम = शून्य
जवाब देंहटाएंआशियां कहीं कोई नहीं ऊपर
चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर …वाह, गजब