सारा आसमान वह अछोर अदम



खूबसूरत भरम है वह बुलंदी 

श्याम बिहारी श्यामल 

आशियां कहीं कोई नहीं ऊपर 
चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर 

छुआ-टटोला जा चुका आफ़ताब  
ज़मीन से महज़ दिखता भर सुंदर  

सारा आसमान वह अछोर अदम 
हवा भी सिर्फ़ कुछ ही दूर मयस्सर 

खूबसूरत भरम है वह बुलंदी 
मंडराता केवल गिरने का डर

श्यामल इसे कोई समझे कैसे
जुनूं से तो आदम निकले बाहर 

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अदम = शून्य 





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. आशियां कहीं कोई नहीं ऊपर
    चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर …वाह, गजब

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