ऐन मौक़े चुप करा दिए गए सारे अल्फाज़
श्याम बिहारी श्यामल
जो जीत कर आये थे सब मदहोश दिख रहे थे
हारे हुए लोग हौसले का गीत लिख रहे थे
यह क्या खेल चल रहा उस जगमगाती दुनिया में
गुलगुले गलीचे मांग नींद की भीख रहे थे
हिलना-डोलना भी खतरे से ख़ाली नहीं जहां
पुतले बेख़ौफ़ वहीं शान से अब छींक रहे थे
ऐन मौक़े चुप करा दिए गए सारे अल्फाज़
खुशी से पागल होकर सन्नाटे चीख रहे थे
किनारों में क़ैद रहकर भी दरिया जो बह रहा
श्यामल इल्म-ए-ज़ंग उसी से हम सीख रहे थे
हारे हुए लोग हौसले का गीत लिख रहे थे
यह क्या खेल चल रहा उस जगमगाती दुनिया में
गुलगुले गलीचे मांग नींद की भीख रहे थे
हिलना-डोलना भी खतरे से ख़ाली नहीं जहां
पुतले बेख़ौफ़ वहीं शान से अब छींक रहे थे
ऐन मौक़े चुप करा दिए गए सारे अल्फाज़
खुशी से पागल होकर सन्नाटे चीख रहे थे
किनारों में क़ैद रहकर भी दरिया जो बह रहा
श्यामल इल्म-ए-ज़ंग उसी से हम सीख रहे थे
जवाब देंहटाएंहिलना-डोलना भी खतरे से ख़ाली नहीं जहां
पुतले बेख़ौफ़ वहीं शान से अब छींक रहे थे…वाह 👌गजब