श्याम बिहारी श्यामल
अफ्सां लफ्जीं, इश्क जुबानी शान हो गया
दिल यह दिल न रहा, जैसे दालान हो गया
रोजमर्रा हकीरी, मिजाज कहां फकीरी
नग्मात हवाई, अदब परेशान हो गया
झूम कर आया है दौर-ए-नीम-हकीमी
मुकम्मल अंजुमन यह खतरे जान हो गया
सहूलियत कि जब चाहो बदल डालो नकाब
चेहरे खरीदना बहुत आसान हो गया
श्यामल शाइरी इल्मी कसरत नहीं बेशक
ऐसों का ईमां पूरा कुर्बान हो गया
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