तय है लोग दौड़ते हैं 
श्याम बिहारी श्यामल 
पुरअसर है अब भी शोर 
दुम दबा भागता है चोर 
ख्याल रहे तो केवल यह 
हल्ला पड़े नहीं कमज़ोर 
अहसास है ज़िंदा अभी
जाग उठता है ओर-छोर  
तय है लोग दौड़ते हैं 
समाज धड़कता पोर-पोर 
श्यामल ज़ुल्मत अजर कहां 
अटल अंज़ाम-ए-शब भोर
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पुरअसर = प्रभावशाली 
ज़ुल्मत = अंधेरा 
अज़र = जो नष्ट न हो 
शब = रात 

जवाब देंहटाएंख्याल रहे तो केवल यह
हल्ला पड़े नहीं कमज़ोर
…वाह