सच के साथ रहकर भी हमें हारना होगा
श्याम बिहारी श्यामल
वक़्त खतरनाक़, पर्दा नहीं डालना होगा
दरपेश मंज़र को यूं नहीं टालना होगा
खेल जो चल रहा है खुला है खुलेआम है
क्या करना है ज़माने को विचारना होगा
वह झूठ बोलेगा और जीत कर जाएगा
सच के साथ रहकर भी हमें हारना होगा
दिक्क़त यह कि जो ज़िन्दा ईमां है वह चुप है
इस बेरुखी को तो अभी ही मारना होगा
शख्स वह आकर पास बताता खुद को श्यामल
सही वक़्त है आईना अब दिखाना होगा
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